Supreme Court reports

http://m.jagran.com/news/national-kochi-royal-family-knocked-supreme-court-after-high-court-order-on-headgear-14057846.html

गजराज का सिरताज बचाने के लिए कोच्ची राजघराना पहुंचा सुप्रीमकोर्ट

गजराज का प्राचीन सिरताज (मुकुट (हेडगियर)) बचाने के लिए कोच्चि राजघराना सुप्रीमकोर्ट पहुंचा है। राजघराने ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर सत्रहवीं शताब्दी के गजराज के प्राचीन सिरताज को गलाने और उसकी जगह नया सिरताज तैयार करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को मामले में यथास्थिति कायम रखने के आदेश दे दिये। यानि फिलहाल गजराज का सिरताज नहीं गलाया या नष्ट किया जा सकेगा।

न्यायमूर्ति पीसी पंत व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले में यथास्थित कायम रखने के आदेश के साथ ही याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए कोच्चि देवासम बोर्ड को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया है। इससे पहले कोच्चि राजघराने की ओर से पेश वकील ने गजराज के सिरताज को नष्ट कर नया बनाने के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने उस सिरताज की प्राचीनता और बहुमूल्यता का आंकलन किये बगैर ही उसे गलाकर उसकी जगह नया सिरताज बनाने की इजाजत दे दी है।

सिरताज की प्राचीनता और खासियतें बताते हुए याचिका में कहा गया है कि कोच्चि के महाराज के पास ऐसे 15 सिरताज थे। मंदिर में उत्तसव के दौरान येे सिरताज यानि मुकुट हाथियों को पहनाए जाते थे। बेशकीमती रत्नों से जड़े इन 15 सिरताज में से 14 सिरताज कोच्चि के महाराज ने कोचीन और शोरणपुर के बीच रेलवे लाइन बिछाने के लिए पैसों का इंतजाम करने के लिए 1895 से 1914 के बीच बेच दिए थे। ये आखिरी बचा सिरताज है जो कि करीब 200 साल पुराना है।

ये सिरताज फिलहाल केरल के इराकुलम जिले स्थित पूर्णनाथ मंदिर की संपत्ति है। इस मंदिर का रखरखाव कोचीन देवासम बोर्ड देखता है। कोचीन देवासम बोर्ड और मंदिर की पूर्णनाथ सेवा संघ कमेटी ने इस सोने के मुकुट को गला कर इसकी जगह नया मुकुट बनाने की इजाजत मांगी थी। उनकी कहना है कि आठ किलो सोने का यह मुकुट आकार में छोटा है इसलिए बड़े हाथियों के सिर पर फिट नही होता। उनके लिए इस सिरताज को गलाकर 12 किलो सोने का बड़ा सिरताज बनाना होगा। मामला निचली अदालत से होता हुआ हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट देखने के बाद अपने अंतरिम आदेश में सिरताज को गला कर नया बनाने की इजाजत दे दी थी। जिसके खिलाफ राजघराना सुप्रीमकोर्ट पहुंचा है।